फिर होगा वृक्षारोपण के नाम पर लाखों का वारा-न्यारा,हर साल बड़ी धन राशि खर्च करता है निगम और कुछ पेड़ बड़े भी हुए तो चलती है विद्युत मंडल की छुरी



फिर होगा वृक्षारोपण के नाम पर लाखों का वारा-न्यारा!

हर साल बड़ी धन राशि खर्च करता है निगम और कुछ पेड़ बड़े भी हुए तो चलती है विद्युत मंडल की छुरी

राजनांदगांव (खैरागड़िया) शहर में वृक्षारोपण व पर्यावण संरक्षण के नाम पर हर साल लाखों रूपयों का वारा-न्यारा हो रहा है। इस मद में नगर पालिक निगम प्रतिवर्ष कई लाख रूपये का अनुमानित व्यय बजट में शामिल करता है और धरातल पर देखो तो रूपयों की बर्बादी साफ तौर पर दिखाई देती है। कई पेड़ और ट्री गार्ड ग्रीष्म ऋतु भर जमीन चाटते नजर आए तो कितने ही पेड़ सूख भी गए। आखिर जनता के पैसे पानी की तरह क्या बहाये जाते हैं? क्यों पब्लिक के पैसे का सदुपयोग नहीं किया जा रहा है। वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण समय की आवश्यकता है। इसमें कोई दो मत नहीं पर जो राशि व्यय की जाती है उसकी उस हिसाब से उत्पादकता तो दिखनी ही चाहिये। इसे सिस्टम का दोष कहें या संबंधित अधिकारियों का, कि स्थानीय निकाय द्वारा लाखों रूपये व्यय दर्शाने के बावजूद भी शहर आज तक अपेक्षा अनुरूप हरा-भरा नहीं हो सका है। क्या ऐसा ही चलता रहेगा कि नगर निगम और वन विभाग सड़कों के किनारे बिजली तारों के नीचे पेड़ लगाते रहेंगे और विद्युत संधारण के नाम पर छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड अच्छे भले बढ़ते हरे-भरे पेड़ों पर बेदर्दी से, बेहरमी से छुरी चलाती रहेगी? एक बात और है कि विद्युत कंपनी के इसी रवैये के चलते निगम ने मध्यम ऊंचाई के फूलदार पौधों का रोपण भी शुरू किया है जो कि सड़क मार्ग विभाजकों पर किया जाने लगा है। बता दें कि निगम बजट 2022-23 के अनुमान पत्रक में पर्यावरण संरक्षण पर 50 लाख, खाद-बीज और पौधों की खरीदी पर 5 लाख तथा ट्री गाडर््स निर्माण पर 10 लाख रूपये अनुमानित व्यय दर्शाया है। अब देखना है कि इतनी बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी शहर हरा-भरा होगा या हर साल के जैसे ही ढर्रा होगा।

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