दियो से जगमगाया अतिप्राचीन श्री राम मंदिर
दियो से जगमगाया अतिप्राचीन श्री राम मंदिर
नौवें पड़ाव में राम दरबार में हुआ सुंदरकांड का पाठ
ख़ैरागढ़ 00 धर्मयात्रा अपने नौवें पड़ाव में टिकरापारा स्थित प्राचीन श्री राम मंदिर पहुंचीं। लगभग ढाई सौ साल से भी अधिक समय से उक्त जगह में विराजमान भगवान श्री रामचंद्र जी के पूरे परिसर को सबसे पहले दीपों से सजाया गया। जिसके बाद सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। जिसमें युवाओं और छोटे बच्चों की भागीदारी रही। और कोरोना नियमों का पालन किया गया। मंदिर को पहले सुर्या ( सुरैया) देवी जी के मंदिर के नाम से जाना जाता था। ठीक ठीक तो इस मंदिर के बारे में आधिकारिक दस्तावेज़ मौजूद नहीं हैं। परंतु सामान्य अभिलेख बताते हैं मंदिर 300 साल के आसपास स्थापित हैं। मंदिर में विराज मान भगवान रामचंद्र जी,लक्ष्मण जी और माता सीता जी की प्रतिमाएं काष्ठ की हैं। और मंदिर के ठीक सामने विराजमान हनुमान जी लगभग उतनी ही अवधि से यहाँ विराजमान है। मंदिर का निर्माण नागवंशी शासक राजा उमराव सिंह या उनसे पूर्व संभावित है। पूरे क्षेत्र के अतिप्राचीन मंदिरों में शुमार है और मंदिर का निर्माण अब समय की मांग है।
सुंदरकांड में दिव्य शक्तियां निहित :- देवा जी
आठवें पड़ाव में धर्मयात्रा में आचार्य देवा जी महाराज,भिलाई भी शामिल हुए। और धर्मयात्रा को अनूठा बताते हुए कहा कि हनुमान जी की दिव्य शक्तियां सुंदरकांड में निहित है। और भी व्यक्ति इसका नियमित पाठ करता है। वह हनुमान जी का कृपा पात्र हो है। देवा जी ने सुमधुर रूप से हनुमान चालीसा का पाठ सम्पन्न कराया।
इन जगहों पर भी जारी है पाठ
ख़ैरागढ़ नगर में वर्तमान में धर्मयात्रा के अतिरिक्त तुरकारी पारा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ,धरमपुरा और इतवारी बाज़ार में भी धर्म प्रेमी युवाओं द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ जारी है। जिसमें कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए सीमित संख्या में पाठ व पूजन का कार्य किया जा रहा है।
शनि देव मंदिर में रहा आठवां पड़ा
आठवें पड़ाव में धरमपुरा धर्म यात्रा का रोहित तिवारी,गणेश राम सिंन्हा,कुलेश्वर सिन्हा ने आत्मीय स्वागत किया। मंदिर में भगवान शनि देव के साथ माँ दुर्गा और हनुमान जी पूर्तियाँ विराज मान हैं।
इस उद्देश्य के साथ जारी है यात्रा
00 सत्य सनातन धर्म के प्रति जनजागृति
00 मंदिरों का पुनरूत्थान
00 धर्मसंरक्षण,प्रकृति पूजन,नदियों का पूजन
00 गौ संरक्षण और गौ पूजन
00 संस्कार प्रसार,धार्मिक तीर्थाटन कॉरिडोर
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