JCCJ प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं खैरागढ़ उप—चुनाव की हार की सम्पूर्ण जवाबदारी लेता हूँ :अमितजोगी
JCCJ प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं खैरागढ़ उप—चुनाव की हार की सम्पूर्ण जवाबदारी लेता हूँ :अमितजोगी
कांग्रेस ने काम के नाम पर नहीं बल्कि दाम के आधार पर उप-चुनाव में वोट लिए हैं। भाजपा की पहले से ही कांग्रेस से सेट्टिंग हो चुकी थी, इसलिए उन्होंने श्री विक्रांत सिंह के स्थान पर दो बार हारे हुए श्री कोमल जँघेल को अपना प्रत्याशी घोषित किया था।
मुख्य मंत्री श्री भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़ मॉडल असम, यू॰पी॰ और खैरागढ़ में पूरी तरह से फेल हो चुका है, इसलिए उन्हें स्वयं खैरागढ़ के हर 8 किलोमीटर की दूरी में जनसभा लेनी पड़ी है और अपने 14 मंत्रियों, 70 विधायकों, 42 निगम-मंडल अध्यक्षों, 171 प्रदेश और ज़िला पदाधिकारियों को हर बूथ में बैठाने की ज़रूरत पड़ी है। खैरागढ़ उप-चुनाव में एक-एक वोट को उन्होंने ₹2000 दाम देकर ख़रीदा गया है। उनका लक्ष्य खैरागढ़ राज परिवार के अस्तित्व को ख़त्म करना और खुद की कुर्सी बचाना है- और इन दोनों लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वे अपना सर्वोच्च समर्पित कर सकते हैं
2020 में मोहला-मानपुर, शक्ति, सारंगढ़-बरमकेला और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ज़िलों की तर्ज पर उन्होंने खैरागढ़ ज़िला को एक वर्ष बीत जाने के बाद क्यों नहीं बनाया? 2021 में उपरोक्त चारों ज़िलों की घोषणा भूपेश सरकार ने आनन-फ़ानन तो ज़रूर कर दी थी किंतु आज तक वहाँ कलेक्टर तो दूर, एक चपरासी भी पदस्त नहीं किया गया है। यह उनके नैतिक, मानसिक और आर्थिक दिवालियेपन का जीता-जागता प्रमाण है। JCCJ की केंद्रीय संसदीय मंडल ने खैरागढ़ राज परिवार के अभूतपूर्व योगदान के इतिहास का सम्मान करते हुए पार्टी ने स्वर्गीय श्री देवव्रत सिंह की सबसे छोटी बहन राजकुमारी आकाँक्षा सिंह सोनी को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया था। किंतु पारिवारिक कारणों से राजकुमारी आकाँक्षा ने खुद की जगह अपने पति- और श्री देवव्रत सिंह के सबसे छोटे दामाद- श्री नरेंद्र सोनी को मैदान में उतारने के निर्णय लिया क्योंकि वे पिछले 6 महीनों से पृथक खैरागढ़ ज़िला की माँग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे थे।स्वर्गीय श्री देवव्रत सिंह के सबसे छोटे दामाद श्री नरेंद्र सोनी के नाम की घोषणा होते ही पार्टी के खैरागढ़ क्षेत्र के तीनों ब्लॉक अध्यक्षों ने पुरज़ोर विरोध करते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। साथ ही पार्टी के चुनाव संचालक सरदार श्री जरनैल सिंह भाटिया और ज़िला अध्यक्ष श्री विष्णु लोधी संसदीय मंडल के इस निर्णय के विरुद्ध खुद को प्रचार अभियान से पृथक कर लिया। उनके इस निर्णय से हमें अपूर्णीय क्षति पहुँची है।परिणाम जो भी हो, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने इस उप-चुनाव को अपने दम पर लड़ा है। पार्टी ने कबीरधाम और राजनांदगाँव जिलाओं के नेताओं- श्री विष्णु लोधी,श्री रवि चंद्रवंशी, श्री अश्विनी यदु, श्री सुनील केसरवानी, श्री नवीन अग्रवाल, और श्री शमशुल आलम- को खैरागढ़ विधान सभा के तीनों ब्लॉक के 130 बूथों- जहां श्री देवव्रत सिंह को 2018 चुनाव में 60000 में से 52000 वोट मिले थे- का प्रभार देने का रणनीतिक निर्णय लिया है। हालाँकि इस उप-चुनाव में कांग्रेस की अपेक्षा हमारा खर्च मात्र 1% और भाजपा की अपेक्षा मात्र 10% ही रहा है। इस रणनीति से हमें बूथ-स्तर पर नये, युवा और ऊर्जावान कार्यकर्ताओं का चयन करने का अवसर मिला है, जो आगामी 2023 के चुनाव में हमारी पार्टी के विजय में कारगर सिद्ध होंगे।मुझे पूरा विश्वास है कि अगले साल (2023) के सामान्य चुनाव में खैरागढ़ की जनता हमें चुनेगी बशर्ते कि हम आगामी एक साल में सरकार के ख़िलाफ़ जनहित के मुद्दे उठाने में दोनों राष्ट्रीय दलों से अधिक सक्रीय रहें।






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