चौधरी अजित सिंह को हम हमारी आवाज के रूप में याद करेंगे : स्मृति शेष

 चौधरी अजित सिंह को हम हमारी आवाज के रूप में याद करेंगे : स्मृति शेष



रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह को किसान-मजूदरों के हक की बुलंद आवाज के रूप में पहचाना जाता था। उन्होंने किसानों के लिए काफी संघर्ष किया। सत्ता में भागीदारी मिली तो किसानों के हक में नीतियां और कानून बनवाए।


पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उन्होंने किसान राजनीति को नई दिशा दी। वह कौमी एकता और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के पैरोकार रहे। उनके निधन से किसान-मजदूरों के हक की बुलंद आवाज खामोश हो गई। अजित सिंह हमेशा छोटे राज्यों के पक्षधर रहे


रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने राजनीति में अपनी अलग छवि बनाकर रखी। उन्होंने कभी भी धर्म और जाति के नाम पर लोगों को भड़काने का काम नहीं किया। 2013 के दंगे हुए और जिले में काफी संख्या में लोग मरे तो उनका मन व्यथित रहा।


यह अजित सिंह का ही व्यक्तित्व था कि वह मुसलमान और जाट दोनों पक्षों के बीच पहुंचे। उन्होंने लोगों के बीच बनी खाई को दूर करने के लिए ही 2019 का चुनाव बागपत छोड़ मुजफ्फरनगर से लड़ने का निर्णय लिया।

उनका सबके लिए एक ही वाक्य था। हार-जीत राजनीति का हिस्सा है। मैं यहां आपसी सौहार्द के लिए आया था। सदियों से बने भाईचारे को कायम रखना मेरा उद्देश्य है मैं अपने मिशन में सफल हुआ हूं, यही मेरी जीत है।


 - किसानों के लिए किए ये काम 


- 1989 में वह वीपी सिंह की सरकार में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बने। उन्होंने 44 चीनी मिलों की स्थापना कराई। 

- पीवी नरसिम्हा सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री रहते हुए उन्होंने विदेशों से गेहूं और चीनी के आयात पर रोक लगवाई। 

- अटल बिहारी सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए किसानों के क्रेडिट कार्ड पर कर्ज के ब्याज को कम कराया। 

-  मनमोहन सिंह सरकार में उड्डयन मंत्री रहते हुए कृषि अधिग्रहण कानून में संशोधन कराया। जिससे किसानों की भूमि सर्किल रेट से ज्यादा पर अधिग्रहीत की जाने लगी। 

                          

 सादर नमन                      

                          

                           विप्लव साहू

                     सभापति, जिला पंचायत,

                           राजनांदगांव छ. ग.

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