विकलांग मंच छत्तीसगढ़ के जिलाध्यक्ष कोंडागांव जितेंद्र कुमार साहू ने कहा भारतीय सविधान दिवस 26 नवम्बर पर विशेष



विकलांग मंच छत्तीसगढ़ के जिलाध्यक्ष  कोंडागांव जितेंद्र कुमार साहू ने कहा भारतीय सविधान दिवस 26 नवम्बर पर विशेष

भारतीय सविधान और विकलांग

आज संविधान दिवस हैं हम विकलांग जन देश के सविधान पर पूर्ण भरोसा रखते हैं सम्मान करते हैं संविधान पढ़ने पर आप पाएंगे पूरे संविधान में सिर्फ सातवी अनुसूची अनुच्छेद 246 के सूची क्रमांक 2 राज्य के विषय मे क्रमांक 9.पर विकलांग जनो को बेरोजगारों से जोड़ते हुए लिखा हैं 'निःशक्त और नियोजन के लिए अयोग्य व्यक्तियों की सहायता" और इसका हक अधिकार राज्य सरकार को दिया गया हैं 

कि वो विकलांग जनो के हितार्थ नियम कानून योजना बनाएं आज संविधान के 70वे वर्ष में एक आम नागरिक के नाते गर्व भी होता हैं पर कही चुभन भी होती हैं कि समाज के सबसे कमजोर और निचले पायदान पर खड़े वर्ग को सिर्फ एक पंक्ति में समेट दिया गया राज्य को पूर्ण अधिकार होने के बाद भी राज्य सरकारे अपनी चीजे केंद्र पर थोप कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं आज भी विकलांग जन 300 500 की पेंशन के लिए भटक रहे आज भी विकलांग जन 80% बेरोजगार हैं 

इतने सालों में विकलांग जनो की सही जनसंख्या तक सरकार नही निकाल पाई हैं, राजनीतिक भागीदारी लगभग शून्य है आर्थिक रूप से अधिकांश विकलांग साथी कमजोर हैं अगर संविधान में हमारे लिए एक पंक्ति लिखी हैं तो उसपर भी पालन क्यो नही क्यो नए नए कानूनों और कानूनों और कागजी दांव पेचों में विकलांग समाज को फंसा कर रख दिया गया हैं

 कभी रेलवे कार्ड कभी बस कार्ड कभी भामाशाह कार्ड कभी यूनिक कार्ड कभी विकलांग प्रमाणपत्र सबसे ज्यादा पहचानपत्र हमारे ही बने ही इतने दावे और दिखावे के बावजूद 75% सरकारी और प्राइवेट स्थान आवागमन के अनुकूल नही हैं जो कुछ सरकारी कर्मचारी विकलांग हैं 

भी उनका भी व्यापक शोषण हो रहा हैं विकलांग जनो की शिक्षित कर रहे विशेष शिक्षकों के साथ दोहरा बर्ताव करते हुए उन्हें आज तक बराबरी का दर्जा बराबर वेतनमान नही दिया जाना आखिर क्या दिखाता हैं

एक सीधा प्रश्न हैं सत्ता में बैठे रहनुमाओ से क्या विकलांग समाज इस देश के नागरिक नही हैं ?छत्तीसगढ़ राज्य में अभी कुछ दिन बद विश्व विकलांग दिव्यांग मनाया जायेंगे पर छत्तीसगढ़ राज्य के दिव्यांग जनों ने इसका सकेंतीक बहिष्कार करने का ठान है 

छत्तीसगढ़ राज्य में कोग्रेस सरकार को आज ढाई साल से भी ज्यादा साल हो गये हैं पर आज भी दिव्यांग जनों की सुध लेने वाला कोई नही है भारत के अन्य राज्यों में दिव्यांग जनों के पेंशन 3500,2500,1200 , 700 रूपये हैं और हमारे छत्तीसगढ़ में मात्र 350 रूपये जीसे लेने के लिए पहले 50 से 100 रूपये आटो रिक्शा व बैंक तक जाने के लिए खर्च करना पड़ता है 

छत्तीसगढ़ राज्य में शासन को दिव्यांग जनों को एक सम्मान जनक पेंशन लगभग 5000 देना चाहिए, वही जब शासन सभी के ऋण माफ़ी कर रहे हैं तो दिव्यांग जनों के क्यों नहीं, हम जानते सरकारी सभी दिव्यांग जनों को शासकीय नौकरी नही दे सकते पर उन्हें तो स्वरोजगार योजना के तहत बगेर ब्याज दर के ऋण दे व जो गैर शासकीय संस्था हैं

 वहां उनके क्षमता व योग्यता के अनुसार कार्य दिया जाऐ,और जो शासन ने ग्राम पंचायत से लेकर नगरी निकये शहरी क्षेत्रों तक एक महिला व एक पुरूष दिव्यांग को ऐल्डर मैंन मनोनीत पार्षद जल्द से जल्द नियुक्ति करे,और जो अभी समाज विभाग द्वारा शासन कि और से जो तिपहिया स्कुटी दिया जा रहा है

 उसके बदले ई-रिक्श दिया जाये जीससे वो दिव्यांग स्वरोजगार से सीधे जुड़ा सके न की रोजगार के लिए भटकेसाल भर में 365 होते है पर दिव्यांग दिवस के नाम पर एक दिन दिव्यांग जनों के ऊपर कुछ उपकरण व कुछ उपहार देकर करोड़ों का खर्च दिखा कर दिव्यांग जनों को 364 दिन उन्हें कोई देखने नही जाते की जीन्हे शासन ने ही विकलांग से दिव्यांग बन दिये हैं

 बस नाम बदलते रहते है हलाता वही के वही आज भी दिव्यांग जनों को सिर्फ और सिर्फ एक वोट बैंक बस समझ जाता है।




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