कुप्रचार के कारण ओबीसी समाज, डॉ अम्बेडकर के समग्र दर्शन और योगदान से वंचित है : विप्लव साहू
कुप्रचार के कारण ओबीसी समाज, डॉ अम्बेडकर के समग्र दर्शन और योगदान से वंचित है : विप्लव साहू
राजनांदगांव - 52% जनसंख्या होने के बाद भी ओबीसी समुदाय को 2 हजार साल से न्याय नही मिल पाया है. ओबीसी वर्ग को देश और अपने स्वर्ण युग को वापस प्राप्त करने के लिए बेहद शिक्षित और संगठित होकर जूझना पड़ेगा
इंटरनेशनल बुद्धिस्ट ट्राइब कार्यक्रम में बोलते हुए जिला पंचायत राजनांदगांव के सभापति विप्लव साहू ने उक्त बातें कहीं.
वे बोले कि इस देश में पालतू जानवरों के साथ आवारा कुत्तों की भी गिनती होती है लेकिन ओबीसी समाज में कितने लोग है इसकी गिनती नही होती। ओबीसी की यह औकात बना दी गई है।
डॉ अम्बेडकर का योगदान -
संविधान में अनुसूचित वर्गों से पहले ही ओबीसी के लिए पहले अनुच्छेद 340 लिखा गया। षड्यंत्र के तहत डॉ अम्बेडकर के योगदान और महान दर्शन को छूपाने की कोशिश की जाती है।
भारतीय संविधान, रिजर्व बैंक की स्थापना, भाखड़ा नांगल बांध परियोजना, रजवाड़ो का राष्ट्रीयकरण, हिन्दू कोड बिल आदि दर्जनों योगदान बाबा साहेब का भारत के लिए रहा।
कठपुतली हैं ओबीसी लोग -
श्री मोदी जी ने चुनाव प्रचार में स्वयं को छोटी, पिछड़ी और नीच जाति वर्ग का बताकर वोट मांगने का काम किया लेकिन वर्ग के लिए कोई खास नीति नही बना पाए.
मनुवादियों द्वारा ओबीसी वर्ग और इनके नेताओं के प्रति स्थायी नीति है इस्तेमाल करो और फेंको। नरेंद्र मोदी जी भी इस्तेमाल ही हो रहे हैं, उन्हें खुद नही मालूम कि उनका रोल क्या है!
वे गहरे पढ़े लिखे जानकर नहीं। किसी विषय के विशेषज्ञ नही। उनसे देश और ओबीसी वर्ग को गहरा नुकसान हुआ है, जिसका आंकलन निरपेक्ष नजर और इतिहास ही कर सकता है।
अन्य अतिथिगण -
पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम, राजनांदगांव में विशाल सभा को संबोधित करते हुऐ एड शाकिर कुरैशी रायपुर, के आर झरिया एडिशनल कमिश्नर जीएसटी रायपुर, डी आर ओहेल दिल्ली, संजय बोरकर रायपुर, सुदेश टीकम राजनांदगांव, भीमराव बागड़े छमुमो, सरोज ताई नागपुर, वीणा ताई नागपुर, प्रो जी पी रात्रे, एम एल देशलहरे राजनांदगांव, शिवशंकर सिंह गौड़ डायरेक्टर उड़ान राजनांदगांव, लता ताई, आदिल राजवी राजनांदगांव, प्रज्ञा ताई राजनांदगांव ने संबोधित किया. कार्यक्रम का सफल संचालन एस के बालाधरे ने किया। कार्यक्रम में सहयोग एल सी मेश्राम, विजय ऊके, अनिल उमरे, डॉ संतोष मारिया, मंशाराम सिनकर, मंजू चतुर्वेदी, बीरेंद्र निर्मलकर, कन्हैयालाल खोब्रागडे आदि साथियों की मौजूदगी रही।
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